मंगलवार, जनवरी 03, 2012

हिंदुस्तान, दैनिक जागरण और अमर उजाला में ब्लागर अक्षिता और 'पाखी की दुनिया' की चर्चा

(हिंदुस्तान, वाराणसी, 2 दिसंबर 2011 में चर्चा)

(दैनिक जागरण, वाराणसी, 2 दिसंबर 2011 में चर्चा)

(अमर उजाला, वाराणसी, 2 दिसंबर 2011 में चर्चा)

(हिंदुस्तान, वाराणसी, 1 दिसंबर 2011 में चर्चा)


(हिंदुस्तान, वाराणसी, 1 दिसंबर 2011 में चर्चा)

10 टिप्‍पणियां:

  1. पाखी की सीख
    पाखी सबके मन को भाती,
    छोटी बहना को समझाती.

    दीदी की बातें सुन - सुन के,
    मानो तन्वी ध्यान लगाती.

    पाखी बिटिया हँसती है जब,
    दुनिया भी हँसने लग जाती.

    फूलों की बरखा हो जाती.
    धरती खुशियों से भर जाती.

    रोना - हँसना जीवन अपना.
    पाखी हम सबको बतलाती..

    दीनदयाल शर्मा, हनुमानगढ़, राजस्थान,

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  2. पाखी, आपके सम्मान की खबर हमने भी अख़बारों में पढ़ी थी. आपको इस उपलब्धि पर ढेर सारी बधाई और अभिनन्दन.

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  3. दीनदयाल जी की प्यारी सी कविता तो बहुत अच्छी है...बधाई.

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  4. बहुत -बहुत बधाई और शुभकामनाएं पाखी |गौरव का विषय है...एक पार्टी तो बनती ही है.

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  5. बहुत-बहुत बधाई. यूँ ही जीवन में उन्नति करते रहो.

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  6. कल 28/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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