मंगलवार, अगस्त 03, 2010

'चूं-चूं' के कवर पेज पर पाखी

आपको पता है. दीनदयाल शर्मा अंकल जी ने एक पुस्तक लिखी है और उसके कवर-पेज पर मेरी फोटो लगाई है. मुझे तो जब उन्होंने यह पुस्तक भेजी तो उस पर अपना फोटो देखकर मैं बहुत खुश हुई. ममा ने बैठे-बैठे मुझे इस 'चूं-चूं' 'चूं-चूं' शिशु काव्य-संग्रह के सारे शिशु-गीत सुना डाले, बड़ा मजा आया. फिर तो ममा ने इसकी समीक्षा भी लिख डाली. इसे आप रचनाकार पर पढ़ सकते हैं. यह समीक्षा टाबर-टोली अख़बार में भी पढ़ सकते हैं।
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बच्चों की दुनिया अलबेली और निराली है। यहाँ तक कि बड़े भी बच्चों के लिए रचते समय बच्चे ही बनकर लिख पाते हैं। राजस्थान के चर्चित बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा बाल साहित्य के क्षे़त्र में निरन्तर अपनी कृतियों से बच्चों का मन मोहते रहे हैं और इसी कड़ी में उनके नवीनतम शिशु काव्य-संग्रह 'चूं-चूं' को देखा जाना चाहिए।

16 पृष्ठीय इस शिशु काव्य संग्रह में कुल 14 शिशु गीत संकलित हैं। हर गीत चार पंक्ति का है और इसके साथ ही सुन्दर चित्र भी दिए गए हैं। आवरण पृष्ठ काफी आकर्षक है और इस पर अक्षिता (पाखी) का खूबसूरत चित्र लगाया गया है, जो कि पुस्तक की भावना के अनुरूप है। पाखी माने पक्षी या चिड़िया होता है और चिड़िया चूं-चूं करती है। इस नजरिये से दीनदयाल शर्मा जी की पुस्तक का शीर्षक चूं-चूं मनभावन है। पर आवरण पृष्ठ पर अंकित होने के बावजूद पुस्तक में अक्षिता (पाखी) के नाम का जिक्र न होना थोडा अजीब सा लगता है.
संग्रह में विभिन्न जानवरों व पक्षियों के बोलने के अंदाज को बखूबी प्रस्तुत किया गया है, मसलन खों-खों करके /उछला बन्दर / जो जीते कहलाये सिकंदर। एक अन्य शिशु गीत देखें- टिउ-तिउ जब/ तोता बोला/ पिंकी ने/ पिंजरे को खोला. इसी प्रकार अन्य शिशु गीतों में बंदर, चूहा, तोता, चिड़िया, मुर्गा, घोड़ा, बिल्ली, मोर, बकरी, मेंढक, गधा, कुत्ता और शेर के ऊपर गीत शामिल हैं. एक शिशु गीत घंटी पर आधारित है, जिसमें शिशु-मन की ठिठोली भी देखी जा सकती है-टन-टन-टनन/ घंटी बोली/ हम सब/ करने लगे ठिठोली. इन गीतों में मनोरंजन है- में-में कर/ बकरी मिमियाई/ हमको भाती/ खूब मिठाई, तो सार्थक सन्देश भी- कुकड़ू कूं/ मुर्गे की बांग/ आलस को/ खूंटी पर टांग.

दीनदयाल शर्मा जी के शिशु-गीत, शिशु-मन को बारीकी से पकड़ते हैं। शिशु-मन एक ऐसे कच्चे घड़े के समान होता है, जिसे किसी भी रूप में ढाला जा सकता है। शिशु और बाल साहित्य उनमें शिक्षा, संस्कार और अनुशासन के प्रति प्रवृत्त करते हैं- घोडा जोर से/ हिनहिनाया/ हमने/ अनुशासन अपनाया। इसी क्रम में देखें- टर्र-टर्र/ मेंढक टर्राया/ मेहनत से/ ना मैं घबराया. प्रकृति से काव्य का गहरा लगाव रहा है। कोई भी कवि प्रकृति के चित्रण के बिना अपने को अधूरा पाता है, फिर वह चाहे शिशु गीत ही क्यों न हो- चीं-चीं करके/ चिड़िया चहकी/ वातावरण में खुशबू महकी.

प्रस्तुत शिशु काव्य-संग्रह काफी आकर्षक एवं बच्चों को सरस व सहज रूप में समझ में आने वाली है, परन्तु संग्रह में प्रूफ सम्बन्धी त्रुटियाँ अखरती हैं। पृष्ठ संख्या 3 पर 'सिकंदर' को 'सिंकन्दर' , पृष्ठ संख्या 11 पर 'खूब' को 'खूग', पृष्ठ संख्या 12 पर 'हम' को 'इम' एवं पृष्ठ संख्या 15 पर 'झोंका' को 'झौंका' लिखा गया है. इसके बावजूद भाषा-प्रवाह में कोई बाधा नहीं आती और शिशु-गीतों के अनुरूप हर पृष्ठ पर अंकित सुन्दर चित्रों के चलते यह संग्रह बच्चों पर आसानी से प्रभाव छोड़ने में सक्षम दिखता है. सभी गीत शिशु-मन को भायेंगे और वे इसे बड़ी तल्लीनता से गुनगुनायेंगे. इस अनुपम शिशु काव्य-संग्रह हेतु दीनदयाल शर्मा जी को कोटिश: बधाई.

समालोच्य कृति- चूं-चूं (शिशु काव्य) /कवि- दीनदयाल शर्मा/ प्रकाशक-टाबर टोली, 10/22 आर. एच. बी., हनुमानगढ़ संगम, राजस्थान-335512/ आवरण चित्र- अक्षिता (पाखी) / प्रथम संस्करण- 2010/ पृष्ठ- 16 / मूल्य- 30 रुपये/ समीक्षक- आकांक्षा यादव, प्रवक्ता, राजकीय बालिका इंटर कालेज, नर्वल, कानपुर-२०९४०१
(साभार : रचनाकार)
(जरुर बताइयेगा कि 'चूं-चूं' पर मेरी फोटो कैसी लगी और समीक्षा के बारे में भी तो बताना ही पड़ेगा, नहीं तो ममा नाराज हो जाएँगी. )

31 टिप्‍पणियां:

  1. आवरण पृष्ठ पर अंकित होने के बावजूद पुस्तक में अक्षिता (पाखी) के नाम का जिक्र न होना थोडा अजीब सा लगता है.

    -सच में, जिक्र तो होना था. खैर, कोई बात नहीं..फोटो तो छपी सेलिब्रेटी की हमारी.

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  2. बहुत अच्छा लगा । बधाई ।
    पाखी बड़ी प्यारी लग रही है ।

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  3. बेनामी03 अगस्त, 2010

    ab to jahan dekho paakhi ka hi jikr hai....
    hamari nanhi si celebrity ko dher saari shubhkaamnayein....

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  4. aawaran prasht pan photo dekhkar bahut achha laga
    bitiya ko bahut pyar

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  5. बहुत-बहुत बधाई हो नन्ही पाखी को. बहुत खूब!

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  6. badhai PAAKHI!!

    Arre beta sach me, tum to celebrity model ban gayee ho.......

    great!!

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  7. बहुत अच्छा लगा । बधाई ।
    पाखी बड़ी प्यारी लग रही है..........

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  8. पाखी के प्यार में उसका नाम भी न दे सका. अब इसी पुस्तक का नवीन संस्करण आ रहा है..इसमें सब भूलों को सुधार लेंगे..पाखी का नाम भी और पुस्तक की साज सज्जा में बनाये चित्रों के लिए तरुणा बाहरी, जयपुर का नाम भी..ये सब जल्दबाजी के कारण हुआ ..प्रूफ भी नहीं पढ़ सका......ऐसा पहली बार हुआ है..हिंदी, अंग्रेजी और राजस्थानी में ......मेरी तीस के लगभग किताबें हैं..उनमें गलतियाँ न के बराबर है...सब किताबों ने बच्चों का प्यार पाया है........बच्चे मेरी सांसें हैं.........बच्चे हैं तो घर है.........दुनिया है..बच्चे नहीं तो कुछ भी नहीं ..........पाखी को ढेर सारा प्यार...

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  9. @ दीनदयाल शर्मा जी,
    ..अब आपके संशोधित संस्करण का बेसब्री से इंतजार रहेगा.

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  10. कवर पेज में बड़ी ही सुन्दर लग रही है पाखी।

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  11. इस प्यारी बच्ची को स्नेह आशीर्वाद !

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  12. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

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  13. बहुत अच्छा लगा । बधाई ।

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  14. फोटो बहुत सुंदर है और क्यों न हो? पाखी सुंदर जो है.आपको मेरा स्नेहाशीश.

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  15. Dher sari badhaiya awarn pristh par chhapne ke liye.....

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  16. ममा ने तो जबरदस्त समीक्षा लिखी...बधाई. दीनदयाल शर्मा जी को भी इस पुस्तक के लिए बधाई..

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  17. पाखी की फोटो तो कवर-पेज पर खूब फब रही है, भोली-भाली मासूम सी गुड़िया हमारी...आशीष व प्यार.

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  18. चूं-चूं के कवर पेज मेरी यह फोटो आप सभी को पसंद आई न..और समीक्षा तो पसंद आई ही ....बस ऐसे ही अपना प्यार और आशीष देते रहिएगा अपनी इस नन्हीं सी पाखी को. आप सभी की शुभकामनाओं और बधाइयों के लिए प्यार व आभार.

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  19. वाह, पाखी के क्या कहने. कवर-पेज पर खूब फब रही है....ऐसे ही बुलंदियों पर पहुँचो.

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  20. अपनी ममा को सुन्दर समीक्षा के लिए हमारी तरफ से बधाई भी देना न भूलना.

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  21. बहुत-बहुत बधाई हो नन्ही पाखी को. ...

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  22. बहुत सुन्दर पाखी, हमें भी तो यह पुस्तक चाहिए...

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  23. पाखी, आपकी यह वाली फोटो तो हमें बहुत पसंद हैं...सुन्दर समीक्षा ..आभार.

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  24. नन्हीं पाखी को चूं-चूं करते देख अच्छा लगा.

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