शुक्रवार, जून 11, 2010

सूरज बन मुस्काऊँ : अक्षिता (पाखी के चित्रों के साथ रावेंद्रकुमार रवि का नया शिशुगीत

सूरज बन मुस्काऊँमैंने चित्र बनाए सुंदर,
आओ, तुम्हें दिखाऊँ!
इन्हें बनाकर ख़ुश होता है,
मेरा मन, मैं गाऊँ!
तोता लटका है बादल से,
देखे सूरज नीला!
खरबूजा भी लुढ़क रहा है,
आसमान में पीला!
चूहा, हाथी, फूल हँस रहे,
मैं भी सबको भाऊँ!
मैंने चित्र बनाए ... ... .
गुड्डा मेरा हँसे जा रहा,
चिड़िया गीत सुनाए!
मस्त हवा में पेड़ झूमता,
जोकर नाच दिखाए!
दूर पहाड़ी के पीछे से,
सूरज बन मुस्काऊँ
मैंने चित्र बनाए ... ... .
!! आप सभी लोगों ने मेरी ड्राइंग तो खूब देखी होगी पर आज मेरे बनाये गए चित्रों के साथ रावेन्द्र कुमार 'रवि' अंकल द्वारा 'सरस पायस' पर रचा गया नया शिशुगीत 'सूरज बन मुस्काऊँ' भी पढ़िए. तो ये रहा रवि अंकल का प्यारा सा शिशु-गीत और मेरे सुन्दर-सुन्दर चित्र. इसे पढ़कर जरुर बताइयेगा कि यह संयोजन कैसा रहा !!













39 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत पसंद आई...अभी अभी न उनके ब्लॉग पर भी पढ़ी..फिर यहाँ छपी तो फिर से पूरी पढ़ी. :)

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  2. चित्र भी अच्छी लगी और कविता भी...बहुत सुंदर

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति

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  4. ब‌हुत सुन्दर कविता और चित्र भी सुन्दर :-)

    मेरा शनि अमावस्या पर लेख जरुर पढे।आप की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा ....आभार
    http://ruma-power.blogspot.com/

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  5. ये जुगलबंदी देखकर तो मज़ा आ गया ।
    बहुत बढ़िया ।

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  6. यह सब तो
    यहाँ भी अच्छा लग रहा है!

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  7. चित्र भी अच्छी लगी और कविता भी...बहुत सुंदर

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  8. अदभुत संयोजन...पाखी के सुन्दर चित्रों के साथ रवि जी कि खूबसूरत अभिव्यक्तियाँ...बधाई.

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  9. पाखी के जलवे...चारों तरफ पाखी की ही छटा...शुभकामनायें. कभी समीर जी पाखी के लिए कविता लिखते हैं तो रवि जी पाखी की पेंटिंग पर कविता लिखते हैं ...बहुत खूब.

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  10. गुड्डा मेरा हँसे जा रहा,
    चिड़िया गीत सुनाए!
    मस्त हवा में पेड़ झूमता,
    जोकर नाच दिखाए!
    दूर पहाड़ी के पीछे से,
    सूरज बन मुस्काऊँ

    ..यह पढ़कर तो मैं भी मुस्काऊँ !

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  11. अले कित्ते प्याले-प्याले चित्र बनाये प्याली पाखी ने और रवि अंकल ने भी तो बढ़िया सी कविता लिखी...कमाल की जोड़ी.

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  12. देखा आप सभी लोगों को कित्ती पसंद आई ये चित्र और उसके साथ रवि अंकल की कविता...मुझे तो पहले से ही पता था. ..आप सभी का आशीष व स्नेह यूँ ही बना रहे.

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  13. वाह, मान गए पाखी की चित्रकारी और रावेन्द्र जी की गीत गढ़ने की कला को...हार्दिक शुभकामनायें !!

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  14. कुछ प्रतिक्रियाएं 'सरस पायस' से भी-

    देव कुमार झा ने कहा…

    बहुत सुन्दर.... वाह वाह.
    भाई शब्द कम पड रहे हैं इस पोस्ट पर टिपण्णी देनें के लिए.
    ११ जून २०१० १२:५५ AM


    महेन्द्र मिश्र ने कहा…
    बहुत बढ़िया प्रस्तुति... .....आभार

    ११ जून २०१० ६:०८ AM
    Udan Tashtari ने कहा…
    बहुत प्यारी रचना!!

    ११ जून २०१० ७:५३ AM
    संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…
    बहुत सुन्दर चित्र और उतना ही प्यारा शिशुगीत....दोनों का साथ बहुत अच्छा लगा...

    ११ जून २०१० ९:०२ AM
    निर्मला कपिला ने कहा…
    बहुत सुन्दर बाल कविता--- बधाई

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  15. कुछ और प्रतिक्रियाएं 'सरस पायस' से -

    ११ जून २०१० १०:५६ PM
    M VERMA ने कहा…
    चित्र इतने खूबसूरत बना लेती हो और मुझे पता भी नहीं. तुम्हारा होमवर्क ये है कि (क्या करूँ टीचर हूँ न) कि तुम यूँ ही चित्र बनाती रहो.

    आशीर्वाद

    १२ जून २०१० ४:४७ AM
    JHAROKHA ने कहा…
    अपके गीत और अक्षिता के चित्रों की खूबसूरत जुगलबन्दी। आप दोनों को बधाई।

    १२ जून २०१० ७:५० AM
    आदेश कुमार पंकज ने कहा…
    बहुत सुंदर शिशु गीत
    बहुत - बहुत बधाई
    http;//nanheydeep.blogspot.com/

    १२ जून २०१० १:१० PM
    चंदन कुमार झा ने कहा…
    बहुत सुन्दर !!!

    १२ जून २०१० ३:४५ PM

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  16. एक शुभसूचना -
    यह पोस्ट प्रिंट मीडिया में भी धूम मचानेवाली है!

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  17. वाह, इस विलक्षण संयोजन के क्या कहने. पाखी को अपने स्नेह में बांधने के लिए हर कोई लालायित है.

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  18. @ रवि जी,

    बधाई हो आपको व पाखी जी को...हमें भी इंतजार रहेगा इस धूम का..अडवांस में बधाई.

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  19. मुझे पता है कि कौन सी पत्रिका में
    ये चित्र और गीत प्रकाशित होने वाले हैं,
    पर अभी नहीं बताऊँगा।
    सरप्राइज़ देना है न!

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  20. पाखी की प्यारी मुस्कान ने सूरज (रवि) को भी मुस्काने पर मजबूर कर दिया...खूबसूरत.

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  21. @ सरस पायस,

    अरे भाई हमें भी बताइयेगा, ताकि हम भी उसका लुत्फ़ उठा सकें.

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  22. तोता लटका है बादल से,
    देखे सूरज नीला!
    खरबूजा भी लुढ़क रहा है,
    आसमान में पीला!

    ....हा..हा..हा..मजेदार. यह संयोजन और जोड़ी तो हमें बहुत भाई. ढेरों बधाइयाँ.

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  23. अरे पाखी, चंदा बनकर मुस्काने की बात तो सुनी थी पर सूरज बनकर मुस्काना पहली बार सुनी....तभी तो कहते हैं जहाँ ना पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि.

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  24. पाखी की हर बात निराली है. तभी तो रवि अंकल ने पाखी के चित्रों को लेकर इतनी प्यारी सी रचना रच डाली..दोनों को बधाई.

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  25. क्या खूब चित्र हैं बिटिया पाखी के...रवि जी ने तो इन्हें शब्द भी दे दिए. पाखी को प्यार और रवि जी को शुभकामनायें जो उनकी रचनात्मकता इतने रंग लाई.

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  26. रवि जी,

    प्रकाशन की सूचना हमें भी दीजियेगा..आभार.

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  27. अवश्य यादव जी,
    सूचना क्या, रंग-रँगीली पत्रिका ही
    आपके पास पहुँच जाएगी!

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  28. @ रवि अंकल,

    अब तो रंग-रंगीली का इंतजार रहेगा.

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  29. इंतज़ार तो करना ही पड़ेगा!
    मासिक पत्रिका जो है!

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  30. एक बात कहना तो मैं भूल ही जाता हूँ -
    --
    इस पोस्ट का अंतिम फ़ोटो खुल नहीं रहा है,
    इसे ठीक कर दीजिए!

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  31. अजी, इतनी सुन्दर कविता और चित्र देखकर भला किसके मुँह से न निकले कि 'वाह-वाह' .

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  32. अनुपम...इसे देखकर हम भी मुस्कुराने को मजबूर हो गए.

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  33. खुबसूरत चित्रण और शिशु-गीत ने तो इसे और भी खूबसूरती दे दी.

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  34. यह शिशु गीत तो बहुत प्यारा लगा ..अब मैं इसे गुनगुना रहा हूँ.

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  35. ..और हाँ, पाखी के हाथों के हुनर को नजर न लगे. ममा से कहकर काला धागा बँधवा लेना.

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  36. गुड्डा मेरा हँसे जा रहा,
    चिड़िया गीत सुनाए!
    मस्त हवा में पेड़ झूमता,
    जोकर नाच दिखाए!
    दूर पहाड़ी के पीछे से,
    सूरज बन मुस्काऊँ
    बहुत सुन्दर.... वाह-वाह.... वाह-वाह...... बहुत बढ़िया प्रस्तुति के लिए बधाई..... रावेन्द्र जी का गीत और अक्षिता के चित्रों की खूबसूरत जुगलबन्दी। आप दोनों को बधाई.....

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