आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

शनिवार, मार्च 31, 2012

अक्षिता (पाखी) की पहली कविता 'चकमक' में प्रकाशित




अब मैं बड़ी हो गई हूँ. ममा-पापा के साथ-साथ मैं भी कवितायेँ कहने (मैं कहती हूँ और ममा-पापा उसे पन्नों पर लिखते जाते हैं) लगी हूँ. अभी मेरी एक नन्हीं सी कविता 'फुर्र-फुर्र' चकमक (भोपाल से प्रकाशित बाल विज्ञान पत्रिका) के फरवरी-2012 अंक में प्रकाशित हुई है. पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित यह मेरी पहली कविता है. चलिए, आपको भी अपनी यह नन्हीं सी कविता पढ़ाती हूँ-

गिलहरी चढ़ी
पेड़ के उपर
फिर एक
तोता भी आया
फिर एक
कौआ भी आया
दोनों उड़ गए
फुर्र-फुर्र-फुर्र मस्ती से !

सोमवार, मार्च 26, 2012

हिंदुस्तान टाइम्स वुमेन अवार्ड के लिए वोट करें..


मेरी ममा श्रीमती आकांक्षा यादव हिंदुस्तान टाइम्स वुमेन अवार्ड-2012 के लिए नामित हुई हैं. कृपया उन्हें एस.एम्.एस. द्वारा अपना मत देकर विजित बनायें. इसके लिए आपको 54242 पर HTW 73 लिखकर एस.एम्.एस. करना होगा.(HTW और 73 के बीच स्पेस जरुर दीजियेगा). यह प्रक्रिया 28 मार्च तक चलेगी. तदनुसार अपने मित्रों और परिवार-जनों को भी प्रेरित करें !!

रविवार, मार्च 25, 2012

अक्षिता (पाखी) बनी आज बर्थ-डे गर्ल

आज मेरा जन्मदिन है.अंडमान में मैंने अपने दो जन्म-दिन सेलिब्रेट किए और अब फिर से मुख्यभूमि में..इलाहाबाद में. अंडमान के खूबसूरत बीच अभी भी याद आते हैं. यहाँ इलाहाबाद में भी तो गंगा जी हाँ, संगम है..और भी ढेर सारी जगहें. अभी तो सब घूमना बाकी है. पापा आजकल आफिस में बहुत बिजी हैं. आपको इलाहाबाद की ढेर सारी तस्वीरें भी तो दिखानी हैं.फ़िलहाल, आज जन्म-दिन की बातें. आज तो सन्डे भी है. खूब सारी मस्ती और पार्टी तो बनती ही है।


!! जन्मदिन पर आप सभी के प्यार और आशीर्वाद का इंतजार बना रहेगा !!

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आज मेरे जन्म-दिन पर पढ़िए रविकर अंकल जी की यह प्यारी सी कविता, जिसे उन्होंने अपने ब्लॉग दिनेश की टिपण्णी - आपका लिंक पर कृष्णा की संरक्षिता, स्नेहिल आशीर्वाद - शीर्षक से प्रकाशित किया है-

कृष्णा की संरक्षिता, स्नेहिल आशीर्वाद ।
जन्मदिवस की शुभ घडी, बाजे मंगल-नाद ।

बाजे मंगल-नाद, फैलती कीर्ति-पताका ।
रोशन करती नाम, पिता दादा जी माँ का ।

विद्या बुद्धि विवेक, बढ़े हर पाख अक्षिता ।
ताके ईश्वर नेक, कृष्णा की संरक्षिता ।।

शुक्रवार, मार्च 23, 2012

नए साल विक्रम-संवत की बधाइयाँ..

आज से नए साल का आरंभ हो रहा है. मुझे लगता था की अभी जनवरी में ही तो नया साल मनाया था, फिर यह क्यों? ..फिर मुझे ममा ने इस नए साल यानि नव-संवत्सर के बारे में बताया. मुझे तो सोचकर ही कितना अच्छा लगता है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने इस सृष्टि की रचना की, सोचकर कितना रोमांच पैदा होता है. मैंने एक बार टेलीविजन पर सम्राट विक्रमादित्य के बारे में देखा था. ममा ने बताया कि यह विक्रम-संवत उन्हीं के द्वारा बनाया हुआ है.

शक्ति की देवी माँ दुर्गा की आराधना का 'नवरात्र' भी आज से ही प्रारम्भ होता है. पूरे नौ दिनों का हर्षोल्लास. यहाँ तो हमारे घर के सामने ही शानदार मंदिर है, सुबह से ही भजन बज रहे हैं. चारों तरफ ढेर सारी पत्तियां गिरी पड़ी हैं, ममा बता रही थी कि नव संवत्सर में ठंडक के कारण जो जड़-चेतन सभी सुप्तावस्था में पड़े होते हैं, वे सब जाग उठते हैं, गतिमान हो जाते हैं। पत्तियों, पुष्पों को नई ऊर्जा मिलती है। समस्त पेड़-पौधे, पल्लव रंग-विरंगे फूलों के साथ खिल उठते हैं। ऋतुओं के एक पूरे चक्र को संवत्सर कहते हैं।..अब तो मैं बहुत खुश हूँ कि पेड़ों पर भी नई-नई पत्तियाँ दिखेंगीं.

कितना अच्छा लगता है कि हमारे चारों तरफ हर चीज किसी न किसी पर्व और त्यौहार से जुडी हुई है. मैं तो इन्हें पूरा इंजॉय करती हूँ. आप सभी को इस विक्रम संवत के नए वर्ष पर बधाइयाँ और आपका स्नेह और आशीष तो मिलेगा ही !!

गुरुवार, मार्च 22, 2012

विश्व जल दिवस : जल बचाएं

आज विश्व जल दिवस है. चलिए, आप सभी मेरे साथ संकल्प लें कि आज से और अभी से हम पानी को बर्बाद नहीं होने देंगें.
जल की हर बूंद हमारे जीवन और धरती के जीवन के लिए बहुत जरुरी है.

गुरुवार, मार्च 08, 2012

रंग-रंगीली होली आई


आज होली का त्यौहार है. इस बार होली हम इलाहाबाद में मना रहे हैं. खूब रंग खेलेंगें और फिर ढेर सारी गुझिया और कचौरी भी तो खानी है. होली पर पापा ने हमारे लिए यह सुन्दर सी कविता भी रची है-

होली आई, होली आई,
रंग-रंगीली होली आई।
आओ पाखी, आओ तन्वी,
मिलजुल सभी मनाएं होली।

पाखी ने भर ली पिचकारी,
अब देखो किसकी है बारी।
उसने सबको ही रँग डाला,
लाल, गुलाबी, नीला, काला।

अब आई गुलाल की बारी,
संग में गुझिया की तैयारी।
सब मिलकर के गुझिया खाएं,
पाठ प्यार का रोज पढ़ाएं।


होली-पर्व पर अप सभो को रंग भरी बधाइयाँ और आपका प्यार और स्नेह तो मिलेगा ही !!

रविवार, मार्च 04, 2012

इलाहाबाद में एक सप्ताह..


आज हमें इलाहाबाद आए पूरे एक सप्ताह हो गए. एक सप्ताह कैसे बीत गया, पता भी नहीं चला. दिन में पापा का आफिस और शाम को हमारी मस्ती. पापा का आफिस और आवास यहाँ सिविल लाइंस में है, सो शाम होते ही हम सिविल लाइंस घूमने निकल पड़ते हैं. वैसे अभी हम अपने नए घर में शिफ्ट नहीं हुए हैं, वहां पर सफाई का कार्य चल रहा है. यहाँ पापा के निरीक्षण-बंगला में हम लोग ठहरे हुए हैं.

अंडमान में तमाम आइलैंड्स की सैर करते थे, यहाँ पर मॉल में घूमते हैं और खूब खरीददारी करते हैं. पहले दिन मैं यहाँ बिग बाजार गई और मैकडोनाल्ड से अपना मनपसंद हैपी-मील लिया. फिर हम यहाँ के पी. वी. आर. मॉल में भी घूमने गए, मैंने तो खूब खरीददारी की. कल हमने पी. वी. आर. में जोड़ी-ब्रेकर्स मूवी भी देखी...मजेदार लगी यह मूवी. अभी तो मुझे इंतजार है कि कब हम हमने नए घर में शिफ्ट होंगे...!!