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सोमवार, दिसंबर 10, 2012

दैनिक भास्कर : 'पाखी की दुनि‍या' के अनोखे रहस्य, जानने को हुए बेताब


इलाहाबाद. इन्टरनेट बच्‍चों के बचपन का हिस्सा ही नहीं बनता जा रहा, बल्कि देश की बाल पीढ़ी इस क्षेत्र में भी अनूठे मकाम हासिल कर रही है। इसी की एक मिसाल हैं चाचा नेहरू के गृह नगर इलाहाबाद की नन्ही मासूम अक्षिता, जिसने ब्‍लॉगिंग की दुनिया में देश में सबसे कम उम्र की ब्‍लॉगर के रूप में अपनी पहचान बनाकर राष्ट्रीय बाल पुरस्‍कार हासिल किया है। जिस उम्र में बच्चे खिलौने की दुनिया में उलझे रहते है, उस उम्र में इलाहाबाद की अक्षिता की उंगलियां लैपटॉप के की-बोर्ड में इस कदर फिसलती हैं कि देखने वाले भी हैरत में पड़ जाते है । अक्षिता की इसी खूबी ने उसे देश की पहली सबसे लोकप्रिय बाल ब्‍लॉगर के मुकाम पर पहुंचा दिया है ।

अक्षिता का ब्लॉग "पाखी की दुनिया" बच्चो ही नहीं, बड़ो के बीच भी बेहद लोकप्रिय है। यही वजह है की उसे ब्‍लॉगिंग के क्षेत्र में "राष्ट्रीय बाल पुरस्‍कार" से केंद्र सरकार की तरफ से नवाज़ा गया है। अक्षिता का यह ब्लॉग उसकी सोच और कल्पना का मूर्त रूप है। अक्षिता की सोच को ब्लॉग के माध्यम से उकेरने की जिम्मेदारी खुद अक्षिता के माता-पिता ने ली है। वह उसके द्वारा कहे गये शब्दों, उसकी कल्पना व सोच को शब्दों का रूप देकर इस ब्लॉग को मेंटेन करते हैं। अपने ब्लॉग को लेकर अक्षिता का कहना है कि वह इसके माध्यम से अपनी बाते पूरी दुनिया तक पहुंचाना चाहती है। इलाहाबद के एक स्कूल में KG-2 कक्षा में पढ़ने वाली अक्षिता को यह शौक विरासत से मिला है। 

अक्षिता के मां- बाप भी देश में ब्‍लॉगिंग के क्षेत्र में एक जाना पहचना नाम हैं। अक्षिता के पिता कृष्ण कुमार यादव प्रशासनिक अधिकारी हैं और मां आकांक्षा यादव एक कालेज में प्रवक्ता के बाद फ़िलहाल स्वतंत्र अध्ययन-लेखन में प्रवृत्त हैं। दोनों के ब्लॉग ब्‍लॉगिंग की दुनिया में काफी लोकप्रिय हुए हैं। उन्हें देश का पहला ब्‍लॉगर दंपति  का पुरस्‍कार मिल चुका है। अक्षिता की प्रेरणा भी उसके ब्‍लॉगर मम्मी-पापा हैं। दोनों ही इस ब्लॉग को सजाने और संवारने की पूरी जिम्मेदारी उठाते हैं। अक्षिता की सभी तस्वीरों को इस ब्लॉग पर देखा जा सकता है।

अक्षिता के पिता कृष्ण कुमार यादव का कहना  है कि वह पहले से एक ब्लॉग चलाते थे। उनको ब्लॉग लिखता देख उनकी बेटी ने भी ब्लॉग बनाने की जिद की। राष्ट्रीय बाल पुरस्‍कार-2012 के अलावा अक्षिता ने हिन्दी साहित्य निकेतन का परिकल्पना सम्मान भी सन 2010 में हासिल किया था ।

अक्षिता अपने ब्लॉग "पाखी की दुनिया" (http://pakhi-akshita.blogspot.in/) में केवल अपनी की गई पेंटिंग और अपनी परिकल्पना ही बच्‍चों से शेयर नहीं करती, बल्कि अपने ब्लॉग के जरिये वह बच्‍चों में पर्यावरण की समझ विकसित करने के लिए अपने ही अंदाज में बाल अभियान चला रही है ।

- आशीष राय

साभार : दैनिक भास्कर (16 नवम्बर, 2012)

7 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्यारे ब्लॉग की प्यारी जानकारी।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्यारे ब्लॉग की प्यारी जानकारी।

Bhanwar Singh ने कहा…

'पाखी की दुनिया' है ही इतनी अनोखी। दैनिक भास्कर में पहले भी एक बार आपकी चर्चा हो चुकी है, जब आपको 'श्रेष्ठ नन्हीं ब्लागर' का पुरस्कार मिला था इस बार विस्तृत चर्चा के लिए अक्षिता और उनके मम्मी-पापा को ढेरों बधाइयाँ.

Unknown ने कहा…

अक्षिता अपने ब्लॉग "पाखी की दुनिया" (http://pakhi-akshita.blogspot.in/) में केवल अपनी की गई पेंटिंग और अपनी परिकल्पना ही बच्‍चों से शेयर नहीं करती, बल्कि अपने ब्लॉग के जरिये वह बच्‍चों में पर्यावरण की समझ विकसित करने के लिए अपने ही अंदाज में बाल अभियान चला रही है ।

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bahut sundar likha hai is blog ke bare men..congts.

Shahroz ने कहा…

U r lucky Akshitaa. Media is giving wide coverage to u..congts.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

अक्षिता तो काफी पापुलर हो गई है। दादा जी की तरफ से अक्षिता बिटिया को खूब सारा प्यार और दुलार। जीवन में खूब तरक्की करो और यश कमाओ।

Shyama ने कहा…

अक्षिता, हमने पूरा आलेख तल्लीनता से पढ़ा। आपकी रचनात्मक अभिरुचियाँ प्रभावित करती हैं। बहुत सारी शुभकामनायें और प्यार .