आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

शुक्रवार, दिसंबर 14, 2012

मछली जल की रानी है


पिछली पोस्ट में मैंने अपने एक्वेरियम के बारे में बताया था। कि कैसे मैंने ढेर सारी मछलियाँ रखी हैं और उनकी केयर भी करती हूँ। आज आपको मछली रानी को लेकर स्कूल में पढाई गई राइम बताती हूँ। इसे स्कूल में सुनकर हमें खूब हँसी आती थी।अब इसे हमने अपनी सिस्टर अपूर्वा को भी सिखा दिया है, वह भी खूब मन से गाती है। आप भी पढ़िए-


मछली जल की रानी है।
जीवन उसका पानी है।

हाथ लगाओ तो
डर जाती है।

बाहर निकालो तो
मर जाती है।

कुकर में डालो तो
पक जाती है।

दो दिन रखो तो
सड़ जाती है।

8 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

मछली जल की रानी है,
पाखी बड़ी सयानी है।

Amit Kumar Yadav ने कहा…

Bahut khub Pakhi.

Shahroz ने कहा…

कुकर में डालो तो
पक जाती है।

दो दिन रखो तो
सड़ जाती है। ...Ha..ha..ha..majedar.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

बाल -मन को सहेजती सुन्दर कविता।

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…


दिनांक 06/01/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!

“दर्द की तुकबंदी...हलचल का रविवार विशेषांक....रचनाकार...रविकर जी”

Rohitas Ghorela ने कहा…

bachpan yaad dila diya :)

kabhi hamne bhi khub gungunaaee thi ye poem.

recent poem : मायने बदल गऐ

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

sundar
:-)

Shyama ने कहा…

कुकर में डालो तो
पक जाती है।

दो दिन रखो तो
सड़ जाती है।

..Like its.