आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

बुधवार, नवंबर 30, 2011

पाखी पहुंची पोर्टब्लेयर से कोलकाता और फिर लखनऊ

26 और 27 अक्तूबर को हमने पोर्टब्लेयर से कोलकाता और फिर कोलकाता से लखनऊ की यात्रा की. 26 को दीपावली थी और 27 को अपूर्वा का पहला जन्म-दिन. पापा तो अक्सर कोलकाता जाते रहते हैं, पर लगभग एक साल बाद हम लोग पोर्टब्लेयर से मेन-लैंड के लिए गए थे. बड़ा मजा आया...यादगार रूप में कुछ फोटोग्राफ्स ...!!

पोर्टब्लेयर एयरपोर्ट पर अक्षिता (पाखी)

कोलकाता से पोर्टब्लेयर : एयर इण्डिया के विमान में अपूर्वा की मस्ती.

कोलकाता से पोर्टब्लेयर : एयर इण्डिया के विमान में अक्षिता (पाखी)


कोलकाता से पोर्टब्लेयर : एयर इण्डिया के विमान में ममा और अपूर्वा.


कोलकाता एयरपोर्ट पर उतरने के बाद ममा और अपूर्वा

कोलकाता एयरपोर्ट पर लगेज के लिए ट्राली के साथ अक्षिता (पाखी)


कोलकाता एयरपोर्ट पर लगेज का इंतजार करती अक्षिता (पाखी)
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कोलकाता एयरपोर्ट पर लखनऊ के लिए जेट एयरवेज का इंतजार.
जेट एयरवेज के विमान में मस्ती

अपूर्वा : क्या स्टाइल है !


इट्स माई फेमिली...पापा कैमरे के उस तरफ.

अपूर्वा : जरा यहाँ भी घूम लूं.
लीजिये हम आ गए लखनऊ..!!

सोमवार, नवंबर 28, 2011

ममा-पापा की शादी की सालगिरह..


मेरे ममा-पापा सबसे प्यारे.
लगते देखो कितने न्यारे.

ममा-पापा की शादी (28 नवम्बर, 2004) की सातवीं सालगिरह पर मेरी और अपूर्वा की तरफ से ढेर सारा प्यार और बधाई ! कहीं आप बधाई देना भूल न जाइएगा.मैं तो चली अपनी पार्टी का इंतजाम करने...!!

शुक्रवार, नवंबर 25, 2011

यह जलेबी भी न...

जलेबी तो मुझे बहुत अच्छी लगती है. पर यहाँ अंडमान में जलेबी नहीं मिलती. दुकानदार से जलेबी मांगिये तो इमरती देते हैं. उन्हें जलेबी और इमरती का अंतर ही नहीं पता चलता.

...और जब से मैंने जलेबी बाई वाला गाना सुना है. तब से तो जलेबी को और मिस करने लगी हूँ.

इस बार दिवाली के बाद मैं ममा-पापा के साथ लखनऊ गई थी तो वहाँ करीब पंद्रह दिन रही. अलीगंज में राधेलाल मिष्ठान भंडार के यहाँ से रोज सुबह गरम-गरम जलेबी मंगवाती और खूब मजे लेकर खाती. ममा-पापा को तो अपने लिए अलग से मंगवाना पड़ता. वैसे ममा-पापा को जलेबी के साथ दही और कचौरी खूब भाती है.अपूर्वा (तान्या) तो दोनों तरफ हाथ साफ करती.

..अब फिर अंडमान आ गई हूँ. ममा से कई बार जलेबी की फरमाइश करती हूँ. अब मेरी फरमाइश पूरी हो रही है. आखिर, ममा गरम-गरम बढ़िया जलेबी बनाती है. अब तो अपूर्वा भी जलेबी खाने में मेरा साथ देने लगी है.

...तो आप भी जलेबी का लुत्फ़ उठाइए और मुंह में पानी आने से रोकिए...!!

मंगलवार, नवंबर 22, 2011

'पाखी की दुनिया' और बच्चों से जुड़े अन्य ब्लॉगों की चर्चा 'जनसंदेश टाइम्स' में...

हम बच्चों के ब्लाग और बच्चो से जुड़े ब्लॉगों की अनूठी चर्चा जाकिर अली 'रजनीश' अंकल जी ने लखनऊ से प्रकाशित दैनिक अख़बार 'जनसंदेश' के 16 नवम्बर, 2011 अंक में 'ब्लॉगवाणी' कालम में की है. इस के लिए जाकिर अंकल जी को ढेर सारा प्यार और धन्यवाद. आपने ब्लागिंग पर मुझे प्राप्त 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' की भी चर्चा की..अच्छा लगा. यह पोस्ट जाकिर अंकल जी के ब्लॉग 'मेरी दुनिया मेरे सपने' पर प्रकाशित है, जहाँ से इसे साभार प्रकाशित किया जा रहा है. इससे पहले दैनिक हिंदुस्तान अख़बार ने भी हम बच्चों के ब्लाग के सम्बन्ध में लिखा था. आप भी पढ़ें और ब्लागिंग जगत में बढ़ते हम बच्चों को जानें-






भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं0 जवाहरलाल नेहरू ने एक बार कहा था- ‘मैं हैरत में पड़ जाता हूँ कि किसी व्‍यक्ति या राष्‍ट्र का भविष्‍य जानने के लिए लोग तारों को देखते हैं। मैं ज्‍योतिष की गिनतियों में दिलचस्‍पी नहीं रखना। मुझे जब हिन्‍दुस्‍तान का भविष्‍य देखने की इच्‍छा होती है, तो बच्‍चों की आँखों और चेहरों को देखने की कोशिश करता हूँ। बच्‍चों के भाव मुझे भावी भारत की झलक दे जाते हैं।’

बच्‍चे सचमुच किसी भी राष्‍ट्र के भविष्‍य होते हैं। इसीलिए विद्वानों ने देश और समाज को संवारने के लिए बच्‍चों के वर्तमान को संवारने पर जोर दिया है। बच्‍चों के समुचित विकास के लिए जितना जरूरी यह है कि उन्‍हें जीने की बेहतर सुविधाएँ मिलें और उनकी शिक्षा-दीक्षा का समुचित प्रबंध हो, उतना ही जरूरी है कि उनके मानसिक विकास पर भी ध्‍यान दिया जाए।‍

बच्चों की इसी मानसिक खुराक को दृष्टिगत रखते हुए जहाँ देश के अलग-अलग भागों से ‘नंदन’, ‘बालहंस’, ‘चकमक’, ‘बालवाटिका’, ‘नन्‍हे सम्राट’, ‘बाल भारती’, ‘बालवाणी’ जैसी बाल पत्रिकाएँ निकल रही हैं, वहीं इंटरनेट पर बच्‍चों की मानसिक आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखते हुए अनेक ब्‍लॉगों का नियमित प्रकाशन भी हो रहा है। ऐसे तमाम ब्‍लॉगों में ‘बाल उद्यान’ (http://baaludyan.hindyugm.com) का प्रमुख स्‍थान है। यह ब्‍लॉग इंटरनेट पर हिन्‍दी लेखन को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय संस्‍था ‘हिन्‍द युग्‍म’ का एक प्रयास है। इस ब्‍लॉग के संचालकों में जहाँ एक ओर तकनीक के महारथी शामिल हैं, वहीं बच्‍चों के लिए लिखने वाले बहुत से कवि, कहानीकार, पेंटर, गायक भी इससे जुड़े हुए हैं। यही कारण है कि इस ब्‍लॉग की विषय सामग्री में जितनी विविधता देखने को मिलती है, उतनी और कहीं नहीं मिलती।

ऐसा ही एक अन्‍य ब्‍लॉग है ‘नन्‍हा मन’ (http://nanhaman.blogspot.com), जहाँ पर बाल साहित्‍य की विभिन्‍न विधाओं की मनोरंजक रचनाएँ प्रकाशित होती हैं। कविता-कहानी के अतिरिक्‍त यहाँ एक ओर सैर-सपाटा जैसे घुमक्‍कड़ी का कॉलम है, तो दूसरी ओर पर्यावरण और बाघ बचाओ जैसे जनोपयोगी अभियानों से सम्‍बंधित प्रेरक सामग्री। इस ब्‍लॉग की संचालिका सीमा सचदेव ब्‍लॉग के उद्देश्‍यों के बारे में बताते हुए कहती हैं ‘हर मासूम चेहरे पर खुशी हमारा ध्येय है। बच्चों की हँसी, राष्ट्र की विजय है। हम सद्-विचारों को फैलाएँगे। नेता देश का, बच्चों को बनाएँगे।’ प्रसन्‍नता का विषय है कि इस अभियान से देश के कोने-कोने से लोग जुड़े हुए हैं। वे नियमित रूप से बच्‍चों के लिए उपयोगी सामग्री रच रहे हैं, देश के सुंदर भविष्‍य की कामना कर रहे हैं।

ऐसे ही दो अन्‍य रोचक और पठनीय ब्‍लॉग है, ‘नन्‍हे-मुन्‍ने’ (http://naneymuney.blogspot.com) और ‘बाल-संसार’ (http://balsansar.blogspot.com), जिनपर विविधतापूर्ण रोचक और पठनीय सामग्री उपलब्ध है। इनमें जहाँ ‘नन्‍हे मुन्‍ने’ उपरोक्‍त तमाम ब्‍लॉगों की तरह एक सामुहिक ब्‍लॉग है, वहीं ‘बाल संसार’ अजय विश्‍वास के व्‍यक्तिगत प्रयासों का नतीजा है। उन्‍होंने अपने अथक श्रम से इस ब्‍लॉग की जड़ों को सींचा है।

बच्‍चों से जुड़े तमाम ब्‍लॉगों की भीड़ में एक ऐसा ब्‍लॉग भी है, जो अपने पवित्र लक्ष्‍य के कारण विशिष्‍ट स्‍थान रखता है। ‘नन्‍हे पंख’ (http://nanhenpankh.blogspot.com) नामक यह ब्‍लॉग अक्षम बच्‍चों के संघर्ष को समर्पित है। अमलेन्‍दु अस्‍थाना द्वारा संचालित यह ब्‍लॉग बताता है कि भारत में मानसिक रूप से विकलाँग बच्‍चों की संख्‍या तीन प्रतिशत है। लेकिन इस संख्‍या को देखते हुए देश में इसके लिए काम करने वाले लोग काफी कम हैं। ‘नन्‍हे पंख’ एक तरह का वैचारिक ब्‍लॉग है, जो मानसिक विकलाँग बच्‍चों की आवाज को पूरे दमखम से उठाता है और उनके सम्‍बंध में चेतना जगाने का कार्य करता है।

एक ओर जहाँ इन्‍टरनेट पर बच्‍चों के लिए रोचक, मनोरंजक और ज्ञानवर्द्धक सामग्री से सुसज्जित ब्‍लॉगों की संख्‍या पिछले कुछ एक सालों में तेजी से बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर ऐसे ब्‍लॉग भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, जिनमें अभिभावक अपने बच्‍चों की गतिविधियों पर केन्द्रित सामग्री का प्रकाशन करते हैं। ऐसे ही कुछ चर्चित ब्‍लॉग हैं: ‘आदित्‍य’ (http://aadityaranjan.blogspot.com), ‘पाखी की दुनिया’ (http://www.pakhi-akshita.blogspot.com), ‘लविज़ा’ (http://blog.laviza.com), ‘माधव’ (http://madhavrai.blogspot.com), ‘अक्षयाँशी’ (http://riddhisingh.blogspot.com), ‘जादू’ व (http://jadoojee.blogspot.com), ‘नन्‍ही परी’ (http://nanhi-pari.blogspot.com)। ये तमाम ब्‍लॉग एक तरह से बचपन की ऑनलाइन डायरी के समान हैं, जहाँ पर बच्‍चों की गतिविधयाँ सचित्र रूप में दर्ज हो रही हैं। इनका एक लाभ जहाँ यह है कि अभिभावक अपने बच्‍चों की छोटी से छोटी गतिविधियों को भी ध्‍यान से निरख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वे बच्‍चों में सकारात्‍मक भावनाएँ भरने के लिए प्राण-पण से लगे हुए हैं।

शायद यह इन्‍हीं सद्प्रयासों का परिणाम है कि ‘पाखी की दुनिया’ के द्वारा अपनी सकारात्‍मक गतिविधियों को ब्‍लॉग पर दर्ज करा रही नन्‍हीं ब्‍लॉगर अक्षिता (पाखी) को वर्ष 2011 के राष्‍ट्रीय बाल पुरस्‍कार के लिए चयनित किया गया है। ब्‍लॉगिंग के इतिहास में यह पहली घटना है, जब ब्‍लॉगिंग जैसे कार्य के लिए किसी को सरकारी पुरस्‍कार मिल रहा है। आने वाले दिनों में इससे नि:संदेह सकारात्‍मक ब्‍लॉगिंग को बढ़ावा मिलेगा और ब्‍लॉगों पर बच्‍चों से सम्‍बंधित सामग्री का प्रतिशत बढ़ेगा।



साभार : मेरी दुनिया मेरे सपने

रविवार, नवंबर 20, 2011

समाचार पत्रों में भी अक्षिता (पाखी) के 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' की चर्चा

विभिन्न समाचार पत्रों में भी अक्षिता (पाखी) के 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' की चर्चा की गई है. आप इन्हें क्लिक करके पढ़ सकते हैं-





अंडमान-निकोबार द्वीप समाचार (17 नवम्बर, 2011)





जनसत्ता, कोलकाता (15 नवम्बर, 2011)






Andaman Sheekha, Portblair (17Nov. 2011)






The Daily Telegrams, Portblair (20 Nov. 2011)






Andaman Express, Portblair (17 Nov. 2011)






The Echo of India, Portblair (10 Nov. 2011)






Aspect, Portblair (10 Nov. 2011)






The Daily Telegrams, Portblair (10 Nov. 2011)




अंडमान-निकोबार द्वीप समाचार (10 नवम्बर, 2011)
(The Echo of India, Portblair (23 Nov. 2011)

(संपूर्ण आवाज़, पोर्टब्लेयर, 28 नवम्बर 2011 में चर्चा)

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(हिंदुस्तान, वाराणसी, 2 दिसंबर 2011 में चर्चा)

(दैनिक जागरण, वाराणसी, 2 दिसंबर 2011 में चर्चा)

(अमर उजाला, वाराणसी, 2 दिसंबर 2011 में चर्चा)

(हिंदुस्तान, वाराणसी, 1 दिसंबर 2011 में चर्चा)


(हिंदुस्तान, वाराणसी, 1 दिसंबर 2011 में चर्चा)




शुक्रवार, नवंबर 18, 2011

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा जारी बुक आफ रिकार्ड्स में अक्षिता (पाखी)



'कला और ब्लागिंग' (Excellence in the Field of Art and Blogging) के क्षेत्र में उपलब्धि के लिए बाल दिवस, 14 नवम्बर 2011 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में भारत सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती कृष्णा तीर्थ जी द्वारा अक्षिता (पाखी) को राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (National Child Award) प्रदान किया गया. इस अवसर पर बुक आफ रिकार्ड्स के रूप में एक बुकलेट 'उत्कृष्ट उपलब्धि हेतु राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2011' भी जारी की गई. इसमें वर्ष 1996 से अभी तक पुरस्कृत सभी बच्चों के नाम राज्यवार दिए गए हैं. इस बार पुरस्कृत सभी बच्चों के बारे में एक-एक पेज पर Citation रूप में उनकी उपलब्धियों का विवरण है. अक्षिता (पाखी) के बारे में आप इन पेज को बड़ा करके पढ़ सकते हैं-

बुधवार, नवंबर 16, 2011

महिला और बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ जी को भी पसंद आईं अक्षिता की बातें..

14 नवम्बर को विज्ञानं भवन, नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में मुझे आर्ट और ब्लागिंग हेतु राष्ट्रीय बाल पुरस्कार -2011 से पुरस्कृत किया गया. कृष्णा तीरथ आंटी (मंत्री) जी ने मुझसे पूछा कि आप क्या करती हो, तो मैंने बताया कि प्यारी-प्यारी ड्राइंग बनाती हूँ और मेरा एक ब्लॉग भी है. आंटी जी तो बहुत खुश हुईं और मुझे खूब स्नेह दिया, प्यार किया. आखिर पुरस्कार पाने वालों में मैं ही तो सबसे कम उम्र की थी.













...अब मान गए न कि मैं सबकी लाडली हूँ !!

As written by rajnish ncle on his Blog During my times...
(Children’s day is celebrated on 14th November in India। This year it is full of surprises। I come to know about two little genius and both are girls. One is a four year old blogger and other is a 7 year old student who won goodle 4 doodle India competition. This little blogger’s name is Akshitaa (nickname Paakhi meaning bird). She lives in Andman and runs a Hindi language blog (Pakhi Ki Duniya- Meaning World of Pakhi) with the help of her parents. Her blog is full of photographs, drawings and activities. She is probably the youngest blogger of the country. Like her age she loves drawing and painting. Akshita is one of the 27 children who received Child Award for Exceptional Achievement on children day in New Delhi.)



बुधवार, नवंबर 09, 2011

अक्षिता (पाखी) को 'बाल-दिवस' पर 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार'

आप सभी लोगों को सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि वर्ष 2011 हेतु मेरा नाम राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (National Child Award) हेतु चयनित हुआ है. यह पुरस्कार मुझे 'कला और ब्लागिंग' (Excellence in the Field of Art and Blogging) के क्षेत्र में उपलब्धि के लिए बाल दिवस, 14 नवम्बर 2011 को विज्ञानं भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में भारत सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती कृष्णा तीर्थ जी द्वारा दिया जायेगा. इसके तहत मुझे 10,000 रूपये नकद राशि, एक मेडल और प्रमाण-पत्र दिया जायेगा.

फ़िलहाल मैं लखनऊ में हूँ और 14 नवम्बर को दिल्ली में यह सम्मान ग्रहण करने के बाद 16 नवम्बर को पोर्टब्लेयर लौट रही हूँ.

इस उपलब्धि पर आप सभी के आशीर्वाद और स्नेह की आकांक्षी हूँ !!

बुधवार, नवंबर 02, 2011

आंध्र प्रदेश से प्रकाशित ईनाडु अख़बार में 'पाखी की दुनिया'


आंध्र प्रदेश से प्रकाशित ईनाडु अख़बार के 25 मई, 2011 अंक में मेरे बारे में प्रकाशित एक रिपोर्ट है. इस अख़बार में लिखी बातों को आप पढ़ सकते हैं. यह हिंदी या अंग्रेजी नहीं तेलुगु भाषा में लिखा है. इसमें मेरे ब्लॉग के बारे में भी लिखा है. आप पढ़ पाइयेगा तो मुझे भी बताइयेगा !!