आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

शुक्रवार, जुलाई 30, 2010

आज तो ममा का हैपी बर्थ-डे है....

आज मैं बहुत खुश हूँ. आज मेरी ममा का बर्थ-डे है. आज तो मैं सुबह-सुबह ही जग गई और ममा को किस करके बर्थ-डे विश किया. फिर एक प्यारा सा बुके और कार्ड भी दिया. पहले तो ममा को नींद में पता ही नहीं चला कि आज उनका जन्मदिन है. पर जब मैंने व पापा ने उन्हें जगाकर हैपी बर्थ-डे गाया तो उन्हें भी इस दिन की खासियत का अहसास हुआ. खैर, आज के दिन तो खूब मस्ती करनी है. शाम को पापा मुझे व ममा को एक शानदार पार्टी भी तो देंगें, फिर तो मैं जमकर धमाल करुँगी. आज कई काम है मेरे जिम्मे- ममा के लिए केक लाना, ढेर सारे बैलून लाना, ...और लोगों के फोन भी तो मुझे अटेंड करने हैं. ममा के साथ-साथ मुझे भी तो बधाइयाँ मिलती हैं कि मैं कित्ती प्यारी बिटिया हूँ और ममा का कित्ता ख्याल रखती हूँ. अले, कित्ता लेट हो रहा है....चलिए, मैं ममा के बर्थ-डे की तैयारी करती हूँ. तब तक के लिए बाय-बाय !!

बुधवार, जुलाई 28, 2010

बारिश और रेनकोट...Rain-Rain go away..

यहाँ अंडमान में तो खूब बारिश हो रही है. सुबह स्कूल जाती हूँ तो बारिश होती है और शाम को बारिश के चलते पार्क में भी मस्ती नहीं हो पा रही है. कई बार इत्ती तेज हवाएं होती हैं कि अम्ब्रेला भी किसी काम का नहीं. अब तो मैंने रेन-कोट ले लिया है और इसे पहनकर स्कूल जाती हूँ. बारिश ख़त्म होगी तो फिर से पार्क में मस्ती....Rain-Rain go away
Come again another day
Little Pakhi wants to play
Rain-Rain go away.

सोमवार, जुलाई 26, 2010

हम बच्चों की बड़ी धूम है....

आजकल हम बच्चों की बड़ी धूम है। आप लोग इत्ता प्यार जो करते हैं। हमारी शरारतों को देखते हैं-मुस्काते हैं और भी बहुत कुछ करते हैं। हम बच्चों के ढेर सारे ब्लॉग हैं, जिनके माध्यम से हमारे ममा-पापा आप तक हमारी छोटी-छोटी बातें पहुंचाते हैं. बच्चों के लिए भी ढेर सारे ब्लॉग हैं, जहाँ ढेर सारी अच्छी-अच्छी रचनाएँ पढने को मिलती हैं. ये सभी ब्लॉग आप हमारे ब्लॉग की साइड बार में देख सकते हैं. पहले तो अधिकतर बड़े लोगों की ही चर्चा होती थी, अब तो हम बच्चों के ब्लॉगों की चर्चा भी खूब होने लगी है. यह सिलसिला आरंभ हुआ चर्चा मंच से, जहाँ रवि अंकल और कभी-कभी मयंक दादा जी हम बच्चों की बातें करते, हमारे ब्लॉगों की चर्चा करते...फिर पता नहीं क्या हुआ कि चर्चा मंच पर वो सिलसिला टूट गया. खैर.....
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डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" दादा जी ने तो हम बच्चों के लिए पूरा 'बाल चर्चा मंच' ही शुरू कर दिया. हर ब्लॉग की खट्टी-मीठी बातें और खूबसूरत चित्र...यहाँ तो चर्चा पूरे पायदान की तरह चलती है. कभी कोई नंबर एक तो कभी कोई नंबर एक. आप भी देखिये ना इसे. और हाँ, दादा जी ने यह भी लिखा कि-
बच्चों के ब्लॉगों के साथ भी पक्षपात।
मॉडरेशन की मार!
चोर की दाढ़ी में तिनका!"
आत्मप्रकाशन" मन की हार!!
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'सरस-पायस' पर रवि अंकल बच्चों के ब्लागस की खूब सरस-चर्चा कर रहे हैं. इसे भी देखना ना भूलियेगा. अब देखिये ना, उन्होंने मेरे लिए क्या लिखा-
आजकल सबसे अधिक चर्चा में है : पाखी!
कोई उसके लिए कविता लिख रहा है!
कोई उसकी दुनिया के लिए सुंदर हैडर बनाकर दे रहा है!
उसे श्रेष्ठ नन्ही ब्लॉगर का सम्मान भी मिल चुका है!
लैपटॉप उसे मिल ही चुका है!
और अब ... ... । अब तो पाखी ने छायांकन भी शुरू कर दिया है!
पाखी ने अपनी माँ की बहुत सुंदर तस्वीर खींची है!
अब तो श्रेष्ठ छायाकार का ख़िताब भी उससे दूर नहीं रह गया!
पाखी की माँ का जन्म-दिन भी निकट है!
उसकी समझ में नहीं आ रहा है कि वह अपनी माँ को क्या उपहार दे! आप भी उसकी मदद कर सकते हैं! ♥ + ♥
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अब लीजिये, आपको एक बात और बताती हूँ। हम बच्चों की नन्हीं दुनिया के लिए तो एक अलग से एग्रीगेटर - हिंदी में बच्चों के और बच्चों के लिए ब्लोग्स भी है. इस पर आपको पूरी बाल-दुनिया ही दिखेगी. किसी ब्लॉग पर पोस्ट लगी और यहाँ हाजिर..है ना मजेदार. इस मजेदार वाकये के पीछे हैं आदि के पापा
....चलते-चलते बच्चों के लिए शुरू एक और ब्लॉग के बारे में भी तो बता जाऊँ- बाल-दुनिया, इसके पीछे हैं मेरी प्यारी ममा. आप भी अपनी रचनाएँ और ड्राइंग इसमें भेज सकते हैं.
(इसे मेरे लिए लिखा पापा ने, ताकि आफिस में मैं उन्हें परेशान ना करूँ और शांति से काम करने दूँ.)

शनिवार, जुलाई 24, 2010

पाखी की ड्राइंग...कैसी लगी


ये देखिये, मैंने एक ड्राइंग और बनाई। अब जल्दी से बताइयेगा कि ये कैसी लगी आपको। और हाँ, इसमें मैंने क्या-क्या बनाया है, ये बताना भी नहीं भूलियेगा. अब तो आज और कल हाली-डे है, वीकेंड पर तब तक कहीं घूम आती हूँ.

गुरुवार, जुलाई 22, 2010

ममा का बर्थडे, पर गिफ्ट क्या दूँ..आप बताओ ना.

ममा का बर्थ-डे 30 जुलाई को है. बस एक वीक और बाकी है. सब कुछ तैयारी तो हो चुकी है, पर अभी तक यह नहीं सोच पाई हूँ कि ममा को उनके इस बर्थ-डे पर क्या गिफ्ट दूँ. पापा को आफिस से फुर्सत नहीं और ममा को ही गिफ्ट देना है, फिर उनसे कैसे पूछूं. तो मैंने सोचा कि क्यों ना आप सब की मदद लूं. ...आप मेरी हेल्प करेंगें ना. तो मुझे जल्दी से कुछ अच्छे-अच्छे गिफ्ट बता डालिए, जो इस बार मैं ममा को बर्थ-डे पर प्रजेंट कर सकूँ. और हाँ, इसी संडे तक मुझे गिफ्ट खरीद भी लेने हैं.

(ममा की ये फोटो मैंने खींची है, जब वो मेरे लैपटॉप पर नेट-सर्फिंग कर रही थीं.)

बुधवार, जुलाई 21, 2010

कैसा है ये ब्लॉग-हेडर


मेरे ब्लॉग के एक साल भी पूरे हो गए और इस ख़ुशी में आशीष (आशु) अंकल ने इसके लिए एक प्यारा सा ब्लॉग-हेडर भी बनाकर भेजा। आप भी इसे देखिये और बताइएगा कि कैसा लग रहा है !!

सोमवार, जुलाई 19, 2010

प्यारे - प्यारे पंछी

दो दिनों तक चिड़िया-टापू पर रही. ना तो मोबाईल का नेटवर्क मिला और ना ही 3-जी। बड़ा मजा आया. बारिश में जमकर भीगी. ममा-पापा की डांट भी सुनी. और जब लौटकर आई तो समीर अंकल जी ने प्यारी सी कविता मेरे लिए लिख भेजी- ''प्यारे प्यारे पंछी''. कित्ता प्यारी कविता है ये और हाँ, एक सन्देश भी छिपा है इसमें. समीर अंकल यूँ ही नहीं सबसे अच्छे वाले अंकल हैं. अब जल्दी से आप भी इस कविता को पढ़िए और समीर अंकल जी को ढेर सारा धन्यवाद देते हुए मुझे भी अपना प्यार दीजियेगा।
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एक कविता प्यारी बिटिया पाखी के लिए:

इक चिड़िया आँगन में आकर
दाना मुझसे मांग रही है
खानें में से बचा हुआ ही
थोड़ा खाना मांग रही है.
वैसे भी तुम फेंक ही दोगे
हम सब उससे पल जायेंगे
देंगे खूब दुआएँ तुझको
गीत खुशी के गायेंगे.
चूँ चूँ कर अंगना चहकेगा
पुष्प गंध से घर महकेगा
दान पुण्य से खुश हो भगवन
दामन में खुशियाँ भर देगा.
पंछी होते प्यारे प्यारे
प्रकृति के होते रखवारे
मेहनत और प्रेम की भाषा
सीखे, जो भी इन्हें निहारे.
इक चिड़िया आँगन में आकर
दाना मुझसे मांग रही है
बचे हुए खाने में से ही
थोड़ा खाना मांग रही है।

और ये प्यारी सी गौरैया भी तो इस कविता के साथ समीर अंकल जी ने भेजी है. लगता है भूखी है. अभी इसके लिए ढेर सारे दाने लेकर आती हूँ...

शुक्रवार, जुलाई 16, 2010

रूपये का चिन्ह मैंने भी देखा

आज मेरी छुट्टी है। यानि, अब कुल तीन दिन कि छुट्टी. शुक्रवार-शनिवार-रविवार. शनिवार-रविवार को पोर्टब्लेयर से बाहर चिड़िया-टापू पर छुट्टियाँ मनाने जा रही हूँ.

कल मैंने टी वी. पर देखा कि अब रूपये का भी एक चिन्ह होगा. आपने भी तो देखा होगा न. चलिए कोई बात नहीं, यदि आपने नहीं देखा तो मैं दिखा देती हूँ.

इसके बारे में पापा ने बताया क़ि आईआईटी के पोस्ट ग्रेजुएट डी उदय कुमार अंकल द्वारा डिजाइन किए गए इस चिह्न को पाँच प्रविष्टियों में से चुना गया है. ध्यान से देखिये, यह चिह्न हिन्दी का अक्षर 'र' है, जिसमें एक समानान्तर लाइन और डाली गई है। और हाँ, यह अंग्रेजी के अक्षर 'आर' से भी काफी मिलता-जुलता है।..पर यही बात मुझे समझ में नहीं आई क़ि यह " R " से कैसे मिलता-जुलता है. अब आप ही मेरी सहायता कीजिये ना.

गुरुवार, जुलाई 15, 2010

'पाखी की दुनिया' के एक साल और खूबसूरत ख़िताब

हुर्रे..आपको पता है मेरा ब्लॉग एक साल का हो गया. आज मैं आपके साथ अपने ब्लॉग के एक साल होने की ख़ुशी सेलिब्रेट करूँगीं. 'पाखी की दुनिया' ब्लॉग जून, 2009 में आरंभ हुआ था और इसकी पहली पोस्ट 24 जून, 2009 को मैं हूँ पाखी । पर 24 जून तो मुझे याद ही नहीं आया कि मेरा ब्लॉग एक साल का हो गया. पर कोई बात नहीं, इसका बर्थ-डे आज सेलिब्रेट कर लेते हैं. तो ये रहा बर्थ-डे केक. इस ब्लॉग पर अभी तक इस पर कुल 70 पोस्ट प्रकाशित की गई हैं. इस पर मेरे प्यारे ममा-पापा आप लोगों को मेरी गतिविधियों के बारे में बताते रहते हैं। कई बार कुछ रोचक और संदेशप्रद पोस्ट भी प्रकाशित की जाती हैं. आप सभी लोगों को मेरा ब्लॉग अच्छा लगता है, आपके कमेंट्स मुझे और भी अच्छा करने के लिए मोटिवेट करते हैं. चिटठा जगत पर 'पाखी की दुनिया' का सक्रियता क्रमांक 147 है और विभिन्न ब्लॉगों पर इसके 20 हवाले दिए जा चुके हैं. हमारे ब्लॉग को 65 जन अनुसरण करते हैं अर्थात हर एक पोस्ट पर हमें लगभग एक फालोवर मिले. अपने ब्लॉग की साइड में हमने उन ब्लॉगों के लिंक भी लगा रखे हैं, जहाँ हम बच्चों से समबन्धित रचनाएँ, जानकारियाँ मिलती हैं. आप सभी लोगों ने जिस तरह से अपना प्यार-आशीर्वाद-स्नेह दिया है, यूँ ही देतें रहें. और आपके लिए यह केक भी- आप लोगों के आशीर्वाद और प्यार के चलते ही लोकसंघर्ष-परिकल्पना द्वारा आयोजित ब्लागोत्सव-2010 में वर्ष की श्रेष्ठ नन्ही चिट्ठाकारा का ख़िताब भी हमें हासिल हुआ. रवीन्द्र प्रभात अंकल ने लिखा कि- ''एक ऐसी नन्ही ब्लोगर जिसके तेवर किसी परिपक्व ब्लोगर से कम नहीं....जिसकी मासूमियत में छिपा है एक समृद्ध रचना संसार...जो अपने मस्तिस्क की आग को बड़ी होकर पूरी दुनिया के हृदय तक पहुंचाना चाहती है.''..ये रहा वो सम्मान.

सोमवार, जुलाई 12, 2010

वर्ष की श्रेष्ठ नन्ही चिट्ठाकारा : अक्षिता (पाखी)

अक्षिता पाखी हिंदी ब्लॉग जगत की एक ऐसी मासूम चिट्ठाकारा, जिसकी कविताओं और रेखाचित्र से ब्लोगोत्सव की शुरुआत हुयी और सच्चाई यह है कि उसकी रचनाओं की प्रशंसा हिंदी के कई महत्वपूर्ण चिट्ठाकारों से कहीं ज्यादा हुयी । यदि अक्षिता को ब्लोगोत्सव का सुपर स्टार कहा जाए तो शायद न कोई अतिश्योक्ति होगी और न शक की गुंजाईश ही । इसीलिए उसे ब्लोगोत्सव की टीम ने "वर्ष की श्रेष्ठ नन्ही चिट्ठाकारा" का खिताब देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है । "जानिये अपने सितारों को" के अंतर्गत आज प्रस्तुत है उनसे पूछे गए कुछ व्यक्तिगत प्रश्नों के उत्तर-

(१) पूरा नाम :
अक्षिता



(३) वर्तमान पता :
द्वारा श्री कृष्ण कुमार यादव, निदेशक डाक सेवाएँ, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, पोर्टब्लेयर-744101

(३) ई मेल का पता :
akshita_06@rediffmail.com

(३) टेलीफोन/मोबाईल न। :
09476046232

(४) प्रमुख व्यक्तिगत ब्लॉग :
पाखी की दुनिया (http://pakhi-akshita.blogspot.com/)

(५) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त अन्य ब्लॉग पर गतिविधियों का विवरण :
ब्लागोत्सव में ड्राइंग व बाल-कविता
(http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_8277.html),
ताऊजी डाट काम पर बाल-कविता
(http://www.taauji.com/2010/05/blog-post_02.html),
सरस प्यास पर मेरी ड्राइंग और उस पर लिखा गया शिशु गीत

(६) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त आपको कौन कौन सा ब्लॉग पसंद है ?
शब्द-शिखर, शब्द सृजन की ओर, उड़न तश्तरी, परिकल्पना, माँ, सरस पायस, ब्लागोत्सव-2010, उत्सव के रंग, डाकिया डाक लाया, आदित्य, माधव, नन्हा मन, बाल सजग, दीन दयाल शर्मा, बाल संसार, फुलबगिया, नन्हें सुमन, बाल सभा, बाल उद्यान, युवा-मन, सप्तरंगी प्रेम, नन्हे मुन्हे, नव सृजन, गीत सहित ढेर सारे।

(७) ब्लॉग पर कौन सा विषय आपको ज्यादा आकर्षित करता है?
बच्चों से जुडी रचनाएँ, ड्राइंग, चर्चा इत्यादि ।

(८) आपने ब्लॉग कब लिखना शुरू किया ?
जून, २००९

(९) यह खिताब पाकर आपको कैसा महसूस हो रहा है ?
बहुत अच्छा लग रहा है।

(१०) क्या ब्लोगिंग से आपकेमें अथवा अन्य आवश्यक कार्यों में अवरोध उत्पन्न नहीं होता ?
नहीं।

(११) ब्लोगोत्सव जैसे सार्वजनिक उत्सव में शामिल होकर आपको कैसा लगा ?
बहुत अच्छा।

(१२) आपकी नज़रों में ब्लोगोत्सव की क्या विशेषताएं रही ?
बड़ों के साथ-साथ बच्चों की रचनाएँ इत्यादि भी प्रस्तुत करना।
(१३) ब्लोगोत्सव में वह कौन सी कमी थी जो आपको हमेशा खटकती रही ?
कोई नहीं।

(१४) ब्लोगोत्सव में शामिल किन रचनाकारों ने आपको ज्यादा आकर्षित किया ?
सबने, सबकी रचनाएँ अच्छी लगी ....!

(१५) किन रचनाकारों की रचनाएँ आपको पसंद नहीं आई ?
कहा न , सबकी रचनाएँ बहुत अच्छी थी ....!

(१६) क्या इस प्रकार का आयोजन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाना चाहिए ?
हाँ , मगर बच्चों की भागीदारी ज्यादा होनी चाहिए

(१७) आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं :
मेरा नाम अक्षिता है। मम्मी-पापा मुझे प्यार से 'पाखी' नाम से बुलाते हैं।मेरा जन्म 25 मार्च, 2007 को को कानपुर में हुआ। मेरा पैतृक स्थान आजमगढ़ है, फ़िलहाल अपने मम्मी-पापा के साथ पोर्टब्लेयर में हूँ। यहाँ में कारमेल स्कूल में नर्सरी में पढ़ती हूँ। मेरी रुचियाँहैं- प्लेयिंग, डांसिंग, ड्राइंग, ट्रेवलिंग, ब्लागिंग, अच्छी-अच्छी रचनाएँ पढना व उन्हें समझने की कोशिश करना।

(१८) चिट्ठाकारी से संवंधित क्या कोई ऐसा संस्मरण है जिसे आप इस अवसर पर सार्वजनिक करना चाहती हैं ?
ब्लोगिंग में कई ऐसे लोग हैं, जिनसे न तो मैं कभी मिली या फोन पर बात की। पर उनका स्नेह देखकर लगता है कि मानो हम उन्हें लम्बे समय से जानते हों। इसी क्रम में बाल साहित्यकार व ब्लोगर दीनदयाल शर्मा अंकल जी ने अपनी बाल-गीतों की पुस्तक 'चूं-चूं' के कवर पेज पर मेरा फोटो लगाया, यह मेरे लिए यादगार पल रहेगा। ऐसे ही एक दिन मेरी ममा के ब्लॉग 'शब्द-शिखर' पर समीर लाल अंकल जी ने टिपण्णी की कि आज पाखी मुँह क्यों फुलाए हुए है, मैंने लिखा कि आज तक आपने मेरे लिए कोई कविता नहीं लिखी और शाम तक समीर अंकल जी ने प्यारी सी कविता लिखकर मेल कर दी। ऐसे ही रावेन्द्र कुमार 'रवि' अंकल जी ने मेरी ड्राइंग पर एक शिशु-गीत ही रच दिया. दो बातें ब्लागोत्सव-२०१० से जुडी हुई कभी नहीं भूलूंगी -पहली, जब पहली बार मैंने इस ब्लॉग उत्सव के बारे में सुना था तो बड़ी उदास हुई थी कि हम बच्चों के लिए वहाँ कुछ नहीं है। फिर मैंने आपको लिखा कि- हम बच्चे इसमें अपनी ड्राइंग या कुछ भेज सकते हैं कि नहीं। जवाब में आप ने लिखा कि अक्षिता जी! क्षमा कीजिएगा बच्चों के लिए तो मैंने सोचा ही नहीं जबकि बिना बच्चों के कोई भी अनुष्ठान पूरा ही नही होता, इसलिए आप और आपसे जुड़े हुए समस्त बच्चों को इसमें शामिल होने हेतु मेरा विनम्र निवेदन है...यह पढ़कर अच्छा लगा कि एक नन्हीं सी बच्ची की बातों को आपने कितने गंभीरता से लिया और बच्चों की इंट्री भी इस उत्सव में सुनिश्चित हो गई. ब्लागोत्सव में पहले दिन ही ''कला दीर्घा में आज : अक्षिता(पाखी) की अभिव्यक्ति'' और उस पर प्राप्त ढेर सारे कमेन्ट देखकर मन प्रफुल्लित हो गया. इन सब संस्मरणों को मैं नहीं भूल सकती।

(19) अपनी कोई पसंदीदा रचना की कुछ पंक्तियाँ सुनाएँ :
गौरैया रोज तिनका लाती
प्यारा सा घोंसला बनाती।
चूं-चूं करते उसके बच्चे
चोंच से खाना खिलाती।

आपका भी बहुत-बहुत आभार अंकल !
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बहुत बहुत धन्यवाद पाखी .....इस अवसर पर ऋग्वेद की दो पंक्तियां आपको समर्पित है कि - ‘‘आयने ते परायणे दुर्वा रोहन्तु पुष्पिणी:। हृदाश्च पुण्डरीकाणि समुद्रस्य गृहा इमें ।।’’अर्थात आपके मार्ग प्रशस्त हों, उस पर पुष्प हों, नये कोमल दूब हों, आपके उद्यम, आपके प्रयास सफल हों, सुखदायी हों और आपके जीवन सरोवर में मन को प्रफुल्लित करने वाले कमल खिले।

(परिकल्पना ब्लॉग उत्सव की टीम ने आपकी प्यारी व लाडली अक्षिता (पाखी) को "वर्ष की श्रेष्ठ नन्ही चिट्ठाकारा" का खिताब देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है । इसके लिए रवीन्द्र प्रभात अंकल और सभी लोगों को ढेर सारा प्यार और धन्यवाद. आप सभी अपना प्यार, स्नेह और आशीर्वाद यूँ ही बनाये रहें....और हाँ, इस बात को ब्लागोत्सव- 2010 में सितारों की महफ़िल में आज अक्षिता पाखी शीर्षक से पढना ना भूलें और प्यार के रूप में अपने कमेन्ट भी दीजियेगा.)

गुरुवार, जुलाई 08, 2010

पाखी का लालीपॉप

आपको लालीपॉप अच्छे लगते हैं, मुझे तो बहुत अच्छे लगते हैं. अब देखिये ना मेरी लालीपॉप वाली फोटो.

ये पापा ने दिए मुझे ढेर सारे लालीपॉप.

लालीपॉप तो मेरा फेवरेट है.

लालीपॉप चूसने का मजा ही कुछ और है.

और फिर अपनी जीभ निकालकर दिखाना...हा..हा..हा..हा.!

सोमवार, जुलाई 05, 2010

प्यारे-प्यारे चित्र और पाखी

ये देखिये मैं क्या लाई. ढेर सारे चित्र और इन चित्रों में मैं, मम्मी-पापा और भी बहुत कुछ. ये चित्र मुझे गिफ्ट किये हैं प्यारे से आशीष (आशु) अंकल ने. आशु अंकल को ढेर सारा प्यार व धन्यवाद. अब आप भी इन्हें देखिये और बताइए कि कैसे लग रहे हैं ये. हैं ना मजेदार !!